हिमाचल प्रदेश में भारी बारिश के कारण पिछले तीन दिनों में अब तक 71 लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं, 13 लोग अभी भी लापता हैं। प्रदेश के कई जिले बारिश से बुरी तरह से प्रभावित हुए हैं। हर ओर सिर्फ तबाही का मंजर है। राज्य को हजारों करोड़ रुपयों का नुकसान हो रहा है। हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने बुनियादी ढांचे के पुनर्निर्माण के काम को “पहाड़ी जैनी चुनौती” बताया है।
राज्य के प्रधान सचिव (राजस्व) ओंकार चंद शर्मा ने कहा, “पिछले तीन दिनों में 71 लोगों की मौत हो गई है और 13 अभी भी लापता हैं। रविवार रात से अब तक 57 शव बरामद किए गए हैं।” पीटीआई को दिए एक इंटरव्यू में सुखविंदर सुक्खू ने कहा कि जितना नुकसान बारिश के कारण हुआ है उसे ठीक करने में कम से कम एक साल का समय लगेगा। उन्होंने कहा कि राज्य को करीब 10 हजार करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सड़कों और जल परियोजनाओं के पुनर्निर्माण में समय लगता है। लेकिन सरकार इस प्रक्रिया में तेजी ला रही है। उन्होंने कहा, “हमें एक साल के भीतर बुनियादी ढांचे को पूरी तरह से बहाल करना होगा। मैं इसी को ध्यान में रखकर काम कर रहा हूं। यह एक पहाड़ जैसी चुनौती है।”
राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र के अनुसार, 24 जून को मानसून की शुरुआत के बाद से राज्य में बारिश से संबंधित घटनाओं में कुल 214 लोगों की मौत हो गई है, जबकि 38 अभी भी लापता हैं। शिमला के उपायुक्त आदित्य नेगी ने पीटीआई-भाषा को बताया, “समर हिल और कृष्णा नगर इलाकों में बचाव अभियान जारी है… समर हिल साइट से एक शव बरामद किया गया है।”
उन्होंने कहा कि अब तक समर हिल से 13, फागली से पांच और कृष्णा नगर से दो शव बरामद किए गए हैं। समर हिल में सोमवार को ढहे शिव मंदिर के मलबे में अभी भी कुछ शवों के दबे होने की आशंका है। वहीं, कृष्णा नगर में करीब 15 मकानों को खाली करा लिया गया है और परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित कर दिया गया है।
शिक्षा विभाग ने खराब मौसम के कारण बुधवार को राज्य के सभी स्कूलों और कॉलेजों को बंद करने का आदेश दिया था और हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय ने 19 अगस्त तक शिक्षण गतिविधियों को निलंबित कर दिया है। अधिकारियों ने कहा कि राज्य में लगभग 800 सड़कें अवरुद्ध हैं और 24 जून को मानसून की शुरुआत के बाद से राज्य को हुआ नुकसान 7,480 करोड़ रुपये से अधिक हो गया है। अब तक 10,714 घर पूरी तरह या आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हो चुके हैं।
उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने केंद्र से हिमाचल प्रदेश में राष्ट्रीय आपदा घोषित करने और बहाली कार्यों के लिए 2,000 करोड़ रुपये जारी करने का आग्रह किया है। इस बीच, उपायुक्त निपुण जिंदल ने बुधवार को कहा कि पिछले 24 घंटों में कांगड़ा जिले के इंदौरा और फतेहपुर उपमंडलों के बाढ़ प्रभावित इलाकों से 1,731 लोगों को बचाया गया है। जिंदल ने कहा, वायुसेना के हेलीकॉप्टरों, सेना के जवानों और एनडीआरएफ की मदद से बाढ़ प्रभावित इलाकों से लोगों को निकालने का अभियान जारी है।
मुख्यमंत्री सुक्खू ने इंदौरा और फतेहपुर का हवाई सर्वेक्षण किया और पौंग जलाशय के निचले हिस्से में बाढ़ वाले क्षेत्रों में निकासी कार्यों का जायजा लिया। एक मौसम अधिकारी ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में इस साल मानसून के 54 दिनों में 742 मिमी बारिश हो चुकी है, जबकि 1 जून से 30 सितंबर के बीच सीजन का औसत 730 मिमी दर्ज किया जाता है। शिमला मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक सुरिंदर पॉल ने पीटीआई को बताया कि इस जुलाई में राज्य में दर्ज की गई बारिश ने पिछले 50 वर्षों के सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए।
सीएम सुक्खू ने कहा कि सेना, भारतीय वायु सेना, राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल और राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों से लोगों को निकालने में लगे हुए हैं। इस प्रक्रिया में पुलिस और होम गार्ड के जवानों को भी शामिल किया गया है। उन्होंने कहा कि यह पिछले 50 वर्षों में राज्य की सबसे विनाशकारी प्राकृतिक आपदा थी। वहीं, सेना के अधिकारियों ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में आठ टुकड़ियों की तैनाती से 5,000 से अधिक लोगों को बचाया गया है।